मंकीपॉक्स का पहला मामला इसी देश में सामने आया था और आज पूरी दुनिया में इसको लेकर दहशत है।
PIONEER INDIA NEWS HARYANA : कोरोना की तरह अब मंकीपॉक्स भी लोगों को डराने लगा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद पता चला कि यह बीमारी अफ्रीका के बाहर भी फैल गई है। स्वीडन में इसका पहला मरीज सामने आया है. इस बीमारी से अब तक अफ्रीकी देशों में 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. पाकिस्तान में भी इसका पहला मामला सामने आया है. इस खतरनाक बीमारी के कारण पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बीमारी का पहला मामला कहां सामने आया था?
पहला मामला 64 साल पहले सामने आया था
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। उस वक्त कांगो में रहने वाले एक 9 महीने के बच्चे में यह संक्रमण पाया गया था. इसका रहस्य 1970 के दशक में सुलझा, जब पहली बार किसी इंसान में इसका पता चला। तभी कांगो में रहने वाले एक 9 महीने के बच्चे को दाने हो गए। ये मामला इसलिए हैरान करने वाला था क्योंकि 1968 में चेचक पूरी तरह ख़त्म हो गई थी. इसके बाद जब बच्चे की जांच की गई तो मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई. इसके बाद 11 अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मानवीय मामले सामने आए। मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से दुनिया भर में फैल गया है।
मंकीपॉक्स के पहले मानव मामले के बाद, जब कई अफ्रीकी देशों में बंदरों और गिलहरियों का परीक्षण किया गया, तो उनमें मंकीपॉक्स के खिलाफ एंटीबॉडी पाए गए। इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि मंकीपॉक्स का मूल स्रोत अफ़्रीका था। हो सकता है कि यह वायरस अफ़्रीका से एशियाई बंदरों तक फैला हो। इसके बाद कांगो के अलावा बेनिन, कैमरून, गैबॉन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान समेत कई अफ्रीकी देशों में इंसानों में मंकीपॉक्स वायरस के कई मामले सामने आने लगे।
भारत में भी चिंता का माहौल है
पड़ोसी देश पाकिस्तान में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। तो अब भारत में भी अलर्ट बढ़ा दिया गया है, क्योंकि अगर पड़ोसी देश से कोई मंकी पॉक्स पीड़ित यहां आता है, तो इसके मरीज भारत में भी देखे जा सकते हैं।