नेगेटिव रोल निभाकर हासिल की पहचान, 1989 में ऋषि कपूर को दी कड़ी टक्कर, एक फिल्म में छीन लिया राजेश खन्ना से रोल
PIONEER INDIA NEWS HARYANA : विनोद खन्ना अपने करियर की शुरुआत से ही प्रयोग करने से नहीं हिचकिचाए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 70 के दशक में साइड रोल से की थी. उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाकर दर्शकों के दिलों पर लंबे समय तक राज किया है। लेकिन बाद में उन्हें एक्शन और रोमांटिक हीरो के तौर पर भी जाना जाने लगा।
1971 में रिलीज हुई एक फिल्म में धर्मेंद्र लीड रोल में थे, फिर भी उन्होंने अपने टैलेंट के दम पर फिल्म से सारी लाइमलाइट चुरा ली। लेकिन उनके करियर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने एक्टिंग की दुनिया को अलविदा कह दिया.
1969 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले विनोद खन्ना को असली पहचान 1977 में आई फिल्म मेरा गांव मेरे देश से मिली। इस फिल्म में उनके द्वारा निभाया गया किरदार काफी पसंद किया गया. इस फिल्म में अपने किरदार के लिए उन्होंने खूब तारीफें बटोरीं.
70 के दशक में विनोद खन्ना खलनायक के रूप में मशहूर थे। उन्होंने अपनी पहली फिल्म में विलेन का किरदार भी निभाया था. इस फिल्म के बाद निर्माता उनसे नकारात्मक भूमिकाओं के लिए संपर्क करने लगे। इसके बाद वह हर फिल्म में विलेन के तौर पर नजर आये.
1971 में विनोद खन्ना ने धर्मेंद्र और आशा पारेख की सुपरहिट फिल्म मेरा गांव मेरा देश में अभिनय किया। ये फिल्म उस वक्त काफी हिट रही थी. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था. इस फिल्म में विनोद खन्ना ने खलनायक की भूमिका निभाकर लोकप्रियता हासिल की।
एक समय विनोद खन्ना की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने 1977 में शम्मी कपूर और अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म परवरिश में अपनी भूमिका से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। ये फिल्म उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुई. पहले फिल्म में उनका किरदार राजेश खन्ना निभाने वाले थे, लेकिन फिल्म विनोद खन्ना के पास चली गई।