जिस पाकिस्तानी गायिका लता मंगशकर को दिलीप कुमार ने रोकने की कोशिश की थी, वो भी उनकी फैन थीं
PIONEER INDIA NEWS HARYANA : 'जवां है मोहब्बत, हसीन है जमाना, लुटाया है दिल ने खुशी का खजाना' गाना अनमोल घड़ी फिल्म का है और इस गाने को मल्लिका-ए-तरन्नुम नूरजहां ने गाया है। उनकी आवाज का जादू ऐसा था कि जो भी उन्हें सुनता वह उनकी आवाज में खो जाता। उन्होंने दशकों तक अपनी जादुई आवाज से लोगों के दिलों पर राज किया।
लता मंगेशकर भी नूरजहां की फैन थीं
नूरजहाँ की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 'भारत रत्न' स्वर कोकिला भी उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। लता मंगेशकर ने जब फिल्मों में गाना शुरू किया तो वह नूरजहां से प्रभावित हुईं। कुछ ही समय में दोनों बहुत अच्छी दोस्त बन गईं, लेकिन देश के बंटवारे के बाद नूरजहां पाकिस्तान चली गईं और लता मंगेशकर भारत में ही रह गईं। हालाँकि, अलगाव का उनकी दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ा।
21 सितंबर 1926 को पंजाब के कसूर में जन्मी नूरजहाँ का बचपन का नाम अल्ला राखी वसई था। नूरजहाँ के माता-पिता थिएटर में काम करते थे और उनका रुझान संगीत की ओर भी था। घर का माहौल संगीतमय था और इसका असर उन पर भी पड़ा। जब वह छह साल की थीं, तब उन्होंने गाना शुरू किया, उनका परिवार भी उनके शौक से प्रभावित हुआ और उन्होंने नूरजहाँ को घर पर ही संगीत की शिक्षा देने की व्यवस्था की।