हरियाली तीज का व्रत कैसे शुरू हुआ? इसका महत्व क्या है? हरिद्वार के ज्योतिषी से जानिए सबकुछ
PIONEER INDIA NEWS HARYANA : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाने की परंपरा है। इस दौरान विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में सावन माह में आने वाली तीज को विशेष महत्व दिया गया है। हिंदू धर्म में तीज देवी पार्वती को समर्पित एक त्योहार है। तीज के त्योहार के दौरान माता पार्वती की पूजा, व्रत आदि करने की परंपरा तो है ही, उनके लिए श्रृंगार सामग्री दान करने की भी परंपरा है। इस व्रत में विवाहित महिलाओं को हरे रंग के कपड़े पहनना, मेहंदी लगाना और श्रृंगार करना जरूरी होता है।
पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. 2024 में हरियाली तीज 7 अगस्त 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। हरियाली तीज का व्रत विवाहित महिलाएं रखती हैं। इस त्योहार पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
हरियाली तीज के बारे में अधिक जानने के लिए हमने हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री से बात की। पंडित श्रीधर शास्त्री ने बताया कि वैसे तो हरियाली तीज का व्रत निर्जला रखने का नियम है, लेकिन अगर कोई महिला बिना जल के व्रत करने में असमर्थ है तो वह इस व्रत के दौरान फल आदि खाकर व्रत पूरा कर सकती है। पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं, हरी चूड़ियां, हरी बिंदी आदि से श्रृंगार करती हैं।
उनका कहना है कि परंपरा के अनुसार हरियाली तीज का व्रत देवी पार्वती को समर्पित है. इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को माता पार्वती को 16 श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए, जिससे माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस व्रत की शुरुआत माता पार्वती ने की थी। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था।
व्रत के दौरान बरतें ये सावधानियां:
पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार हरियाली तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को मन में सकारात्मक भाव रखना चाहिए। व्रत के दौरान यदि उनके मन में नकारात्मक भाव या विचार उत्पन्न होते हैं तो उन्हें कोई फल नहीं मिलता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए और साथ ही बड़ों का आशीर्वाद भी लेना चाहिए ताकि उन्हें इस व्रत का पूरा लाभ मिल सके। यदि महिलाएं बड़ों का अपमान करती हैं तो उन्हें इस व्रत का अशुभ फल मिलता है।