Saving Account: अगर आपका भी है सेविंग अकाउंट उसमे रखे इतना कैश, जान लें क्या होगा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट में ऐसा ही एक नियम बदला था. बैंकों में रखी आपकी 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित है.
अब इस नियम पर कैबिनेट की मुहर भी लग चुकी है. लेकिन, अगर बैंक में 5 लाख रुपए से ज्यादा जमा है तो क्या होगा? क्यों हमें अपने अकाउंट में 5 लाख रुपए से ज्यादा नहीं रखने चाहिए? आइये समझते हैं...

कैबिनेट में बड़ा फैसला किया
बैंक कस्टमर के हित में कैबिनेट में बड़ा फैसला किया. संकट में फंसे बैंकों के ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस (Deposit Insurance) का क्लेम तीन महीने (90 दिन) के अंदर मिल सकेगा.
अगर किसी बैंक पर मॉरेटोरियम लगा दिया गया है तो ग्राहक DICGC कानून के तहत 90 दिन के भीतर 5 लाख रुपए तक वापस ले सकेंगे. इसके लिए सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन किया है. साल 2020 में सरकार ने डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवरेज (DICGC Insurance Premium) बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया था.

बजट 2020 में बदला गया था नियम
दरअसल, बजट 2020 में सरकार ने बैंक गारंटी (Bank Guarantee) की रकम को बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया था. इससे पहले बैंक गारंटी सिर्फ 1 लाख रुपए थी. 4 फरवरी 2020 से इस नियम को लागू भी कर दिया गया है.
अगर अब कोई बैंक डूबता है तो आपके खाते में जमा 5 लाख रुपए तक सुरक्षित हैं. बैंक आपको 5 लाख रुपए लौटाएगा. यह कवर रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई जमा बीमा और कर्ज गारंटी निगम (DICGC) देगा.

कैसे तय किया होता है कि कितना पैसा मिलेगा?
किसी भी बैंक में एक व्यक्ति के सभी खातों को मिलाकर पांच लाख रुपए की गारंटी होती है. मतलब अगर आपने एक ही बैंक में 5 लाख रुपए की FD (Fixed deposit) करा रखी है और उसी में बचत खाते में 3 लाख रुपए भी जमा हैं तो बैंक डूबने की स्थिति में 5 लाख रुपए ही आपको वापस मिलेंगे.

आपके खाते में जितने चाहे पैसे हों, कुल रकम सिर्फ 5 लाख रुपए तक ही सुरक्षित होगी. मसलन अगर किसी के अकाउंट में 10 लाख रुपए और अलग से FD भी कराई हुई है. ऐसे में बैंक डूबने या दिवालिया होने पर आपकी सिर्फ 5 लाख रुपए की रकम ही इंश्योयर्ड होगी.
बैंक डूबने से पहले संभालने के लिए तैयार किया जाता है प्लान
SBI के पूर्व अधिकारी प्रदीप कुमार राय के मुताबिक, बैंक में जमा लोगों के पैसों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. सरकार किसी बैंक को डूबने नहीं दे सकती. जैसे ही कोई बैंक या फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी क्रिटिकल कैटिगरी में आती है तो उसे संभालने के लिए प्लान तैयार किया जाता है.
इसके तहत बैंक की लायबिलिटी को कैंसिल करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं. इस बेल-इन-क्लॉज में डिपॉजिटर्स का पैसा भी आ सकता है. वैसे आपको यह जानकर हैरत होगी कि कस्टमर्स का पैसा 5वें नंबर की लायबलिटी है. ऐसे में चिंता होना स्वाभाविक है.
अपने पैसा का कैसे कर सकते है बचाव
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले 50 साल में देश में शायद ही कोई बैंक दिवालिया हुआ है. हालांकि, अलग-अलग बैंकों में अपना पैसा रखकर आप अपना जोखिम घटा सकते हैं. जमा बीमा कवर को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया गया था.
यह बदलाव करीब 27 साल यानी 1993 के बाद पहली बार किया गया. आने वाले समय में इसे और बढ़ाया जा सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि आपके पैसे की सुरक्षा के लिए बैंक अब हर 100 रुपए के जमा पर 12 पैसे का प्रीमियम देंगे. पहले यह 10 पैसे था.