भगवान शंकर के 5 प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से एक की पूजा मुस्लिम करते हैं।

PIONEER INDIA NEWS HARYANA : भमरौआ स्थित श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर अत्यंत प्राचीन एवं विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। 1822 में नवाब अहमद अली ने मंदिर की नींव रखी। कहा जाता है कि भगवान महादेव वर्ष 1788 में इस बंजर भूमि पर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां मुस्लिम भी दर्शन के लिए आते हैं।

जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर राठौड़ा गांव में एक मंदिर है, जहां 800 साल पहले स्वयं महादेव पवित्र शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. मंदिर के शिवलिंग को श्री बामेश्वर महादेव कहा जाता है क्योंकि इसकी उत्पत्ति दीमकों के अवशेषों से हुई है। मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

ओम नागेश्वर महादेव शिव मंदिर पंजाब नगर में स्थित है। इसकी स्थापना 25 जुलाई 1993 को हुई थी। पहले इस स्थान पर एक बगीचा था। खुदाई करते समय शिवलिंग प्रकट हुआ। इसी समय वहां से गुजर रहे एक दूध व्यापारी की नजर इस दिव्य शिवलिंग पर पड़ी तो उसने यहां दूध चढ़ाकर मन्नत मांगी, जो पूरी हो गई। सावन माह में शिवभक्त जलाभिषेक और कांवर चढ़ाने आते हैं। प्रत्येक सावन में यहां बड़ा मेला लगता है।

शहर से सटे बेनजीर उर्फ घाटमपुर गांव स्थित कोसी शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। यह शहर का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। 1880 में लाला हरदयान चंद ने एक बगीचे में अपनी जमीन पर इस मंदिर का निर्माण कराया था। प्रकृति के सुरम्य दृश्य के बीच बने इस मंदिर में नर्मदेश्वर शिवलिंग है। 40 दिनों तक घी का दीपक जलाने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

जिले में फ्रेंड्स कॉलोनी श्री शिव मंदिर, श्री ज्वाला जी शक्तिपीठ, जिला पंचायत रोड, सिविल लाइंस रामपुर में भगवान महादेव का 37 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ स्वयं लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। पूरे वर्ष भर श्रद्धापूर्वक इसकी पूजा की जाती है। प्राचीन धार्मिक मान्यता है कि इस शिव लिंग के दर्शन से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। यहां दूर-दूर से लोग घूमने आते हैं।