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चालीस दिन में पक जाती है यह फसल, रेतीली मिट्टी में भी बंपर पैदावार, पैदावार के साथ सेहत के भी बड़े फायदे

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चालीस दिन में पक जाती है यह फसल, रेतीली मिट्टी में भी बंपर पैदावार, पैदावार के साथ सेहत के भी बड़े फायदे

PIONEER INDIA NEWS HARYANA : कृषि क्षेत्र में किसान हमेशा नई और लाभदायक फसलों की तलाश में रहते हैं। किसान अक्सर ऐसी फसलें उगाना चाहते हैं जो कम समय में अच्छा मुनाफा दे। आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सिर्फ 40 से 60 दिनों में भारी मुनाफा दे सकती है। हम बात कर रहे हैं शलजम की, जो न सिर्फ कम लागत वाली फसल है बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इसके इस्तेमाल से आप महज डेढ़ से दो महीने में ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और इसके सेवन से आप स्वस्थ भी रह सकते हैं. अगर आप भी शलजम उगाना चाहते हैं तो हम आपको इसकी खेती से जुड़े हर सवाल का जवाब देने जा रहे हैं।

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शलजम की खेती के लिए किस प्रकार की भूमि की आवश्यकता होती है:
कृषि वैज्ञानिक प्रमोद कुमार के अनुसार शलजम की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई, दोमट या बलुई दोमट होती है। यह मिट्टी शलजम की जड़ों को अच्छा समर्थन प्रदान करती है, जिससे फसल की वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार होता है। खेत की तैयारी में गहरी जुताई बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे पुरानी फसल के अवशेष निकल जाते हैं और नए पौधों के लिए अच्छा वातावरण मिलता है। इसके बाद बीजों को 20 से 25 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में बोया जाता है, जिससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है.

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शलजम ठंडी जलवायु की फसल है और इसका अधिकतम तापमान 12 से 30 डिग्री सेल्सियस होता है। शलजम की फसल बुआई के 40 से 60 दिन में तैयार हो जाती है। विशेष रूप से पूसा स्वेति और पूसा कंचन की किस्में 45 से 50 दिनों में पक जाती हैं, जबकि अन्य किस्मों को पकने में 50 से 60 दिन लग सकते हैं। आप इसे अगस्त के महीने में भी लगा सकते हैं.

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