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छत्तीसगढ़ का यह संग्रहालय लगभग 150 वर्षों के इतिहास के साथ देश के नौ सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है।

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छत्तीसगढ़ का यह संग्रहालय लगभग 150 वर्षों के इतिहास के साथ देश के नौ सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है।

PIONEER INDIA NEWS HARYANA : छत्तीसगढ़ राज्य न केवल अपनी लोक कला संस्कृति के लिए बल्कि अपनी ऐतिहासिक विरासत केछत्तीसगढ़ का यह संग्रहालय लगभग 150 वर्षों के इतिहास के साथ देश के नौ सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। लिए भी लोकप्रिय है। प्रदेश के हर जिले में आज भी ऐतिहासिक और प्राचीन विरासतें मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है राजधानी रायपुर में स्थित महंत घासीदास संग्रहालय। संग्रहालय कलेक्टर चौक से कुछ दूरी पर स्थित है। यह संग्रहालय लगभग 150 वर्ष पुराना है। यह देश के नौ सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। अष्टकोणीय संग्रहालय 1875 में इंग्लैंड की रानी के मुकुट के आकार में बनाया गया था। इस संग्रहालय में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वस्तुएँ और प्राचीन मूर्तियाँ थीं।

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राजा महंत घासीदास ने यह जमीन दान में दी थी.
जब संग्रहालय सिकुड़ने लगा तो राजनांदगांव के राजा महंत घासीदास ने 1953 में जमीन दान कर दी थी। पुराने संग्रहालय को यहां स्थानांतरित कर दिया गया। इसका उद्घाटन करने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद रायपुर पहुंचे थे. 70 साल बाद इस इमारत का नवीनीकरण किया गया, जो अब नए रूप में पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। इस तीन मंजिला म्यूजियम में बुजुर्गों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए लिफ्ट लगाई गई है। दूसरी-तीसरी मंजिल पर रखे पुरावशेषों का अवलोकन करने बुजुर्ग लोग आसानी से जा सकते हैं। संग्रहालय के मुख्य द्वार पर बिलासपुर के निकट ताला गांव में 5वीं-6वीं शताब्दी में मिली आठ फुट ऊंची रुद्र शिव की मूर्ति की प्रतिकृति स्थापित है, जो आकर्षण का केंद्र है।

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तीसरी मंजिल पर
संग्रहालय में साँप, छिपकली, मछली आदि जानवर हैं। संग्रहालय में लगभग 4000 गैर-पुरावशेष तथा 13000 पुरावशेष कुल मिलाकर 17000 से अधिक ऐतिहासिक धरोहरें संरक्षित हैं। इनमें कपड़े, हथियार, सिक्के, शिलालेख, मूर्तियां, आदिवासी जीवन और लोक कला शामिल हैं। इसके अलावा लोक कलाओं में करमा नृत्य, बस्तरिया नृत्य, सुआ नृत्य, राऊत नृत्य जैसी ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों की मूर्तियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यहां मध्य प्रदेश के सिरपुर, महर, रतनपुर, आरंग, सिसदेवरी, भोरमदेव, कारीतलाई जैसे ऐतिहासिक स्थानों से लाई गई मूर्तियां और विरासतें संरक्षित की गई हैं।

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